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Rigveda in Hindi - जानिये ऋग्वेद क्या है - औऱ हमारे जीवन में इसका क्या प्रभाव है

  ऋग्वेद क्या है औऱ हमारे जीवन में इसका क्या प्रभाव है | 


वेद ज्ञान का स्रोत है जिसका मतलब ही है- 'ज्ञान'। ज्ञान वह प्रकाश स्रोत है, जिससे मानव के हृदय और बुद्धि पर छाया अंधेरा हमेशा के लिए नष्ट हो जाता है। जिसके अधार पर मनुष्य सही या गलत का चयन या निर्णय करता है |

सृष्टि के "उषाकाल" में मनुष्य के मार्गदर्शन के लिए ईश्वर ने जो ज्ञान का प्रकाश अलौकिक किया है , उसको ही हम 'वेद' कहते है। ईश्वर का ज्ञान जिन मंत्रों, श्लोकों या सूक्तियों के माध्यम से प्रकट हुआ, समपूर्ण रूप से उन सभी शास्त्रों को वेद कहा गया है।

इसके अध्ययन में तीन कांड प्रसिद्ध बाते कही गई है -
  1. पहला 'ज्ञानकांड',
  2. दूसरा 'कर्मकांड' एवँ
  3. तीसरा 'भक्तिकांड'

हिंदू धर्मो के 4 वेदों में -

अर्थर्ववेद का संबंध ज्ञानकांड से,
सामवेद का संबंध भक्तिकांड से तथा
यजुर्वेद का संबंध अनुष्ठान एवँ कर्मकांड से है।

ऋग्वेद दर्शाता विज्ञानकांड को । 'ऋग्वेद' शब्द संस्कृत के धातु 'ऋक्' और वेद शब्द से मिलकर बना है। ऋक् धातु का अर्थ है - स्तुति यानी गुण एवं गुणी का वर्णन। और जैसा की हम सभी जानते है, गुणी चीजों के वर्णन, विश्लेषण और प्रतिपादन को ही विज्ञान कहा जाता है। विज्ञान यानी किसी चीज के विशेष ज्ञान में ज्ञान, कर्म और जिसमे उपासना जुड़ा होता हैं। इसलिए ऋग्वेद की सूक्तियों में भी ये सारी चीजें जुडी हैं।

ऋग्वेद में 10,589 मंत्र हैं, जिन्हें 10028 सूक्तों के रूप में लिखकर उल्लेख हैं। सूक्त का मतलब है - कहा गया बहुत सुन्दर कथन। सूक्त कई मंत्रों को मिलाकर लिखे जाते हैं, जिनमें किसी बात का वर्णन बहुत सुन्दर ढंग एवं सुचारु रूप से किया हो ।

ऋग्वेद के दसवें मंडल का वर्णन में कुछ इस प्रकार कहा गया है | 

ऋग्वेद के 10 वें मंडल के अनुसार 95 सूक्त में पुरुरवा,ऐल और उर्वसी का संवाद वर्णित है। इस वेद में आर्यों के निवास स्थल के लिए सभी जगह सप्त सिन्धवः शब्द का प्रयोग हुआ है। इसमें गंगा का प्रयोग एक बार तथा यमुना का प्रयोग तीन बार हुआ है। ऋग्वेद में कुछ अनार्यों जैसे -कीकातास, पिसाकास, सीमियां आदि के नामों का इसका उल्लेख हुआ है।

ऋग्वेद की कुल कितनी शाखाएं हैं | 

चरणव्यूह के माधयम से  ऋग्वेद की पाँच शाखाएँ ज्ञात होती हैं - शाकलायन, बाष्कलायन, आश्वलायन, शांखायन और मांडूकायन। पुराणों से उसकी केवल तीन ही शाखाएँ ज्ञात होती हैं - शाकलायन, बाष्कलायन और मांडूकायन। यजुर्वेद की दो शाखायें ज्ञात होती है - शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद।

ऋग्वेद के रचनाकार है

- ऋग्वेद की रचना किसने की है – वेदव्यास


मारे द्वारा दी जाने वाली पुस्तक से आप इसका अध्ययन कर सकते है  जिसमे संस्कृत के साथ हिंदी अनुवाद में दिया गया है | 

ऋग्वेद की पुस्तक' डाउनलोड करे

ऋग्वेद हिंदी PDF  - क्लिक डाउनलोड 

ऋग्वेद संस्कृत अनुवाद हिंदी  PDF  - क्लिक डाउनलोड 



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