मनुस्मृति क्या है.....
मनुस्मृति- मनुस्मृति हिन्दू धर्म का एक सर्वाधिक प्राचीन धर्मशास्त्र (स्मृति) है। ... मनुस्मृति में कुल 12 अध्याय हैं जिनमें 2684 श्लोक हैं। कुछ संस्करणों में श्लोकों की संख्या 2964 है। इसकी गणना विश्व के ऐसे ग्रन्थों में की जाती है, जिनसे मानव ने वैयक्तिक आचरण और समाज रचना के लिए जीवन शैली की प्रेरणा प्रदान करती है।
इसका उल्लेख लगभग 220 से 206 ईसा पूर्व का है अर्थात लिखने वाले ने कम से कम 220 ईसा पूर्व ही मनु के बारे में अपने हस्तलेख में लिखा। 220+10,000= 10,220 ईसा पूर्व मनुस्मृति लिखी गई होगी अर्थात आज से 12,234 वर्ष पूर्व मनुस्मृति की ब्यख्या हो चुकी थी ।
अग्निवायुरविभ्यस्तु त्र्यं ब्रह्म सनातनम।
दुदोह यज्ञसिध्यर्थमृगयु: समलक्षणम्।। मनु 1/13
अर्थ -जिस ईश्वर या परमात्मा ने आदि सृष्टि में मनुष्यों को उत्पन्न कर अग्नि आदि चारों ऋषियों द्वारा चारों वेद ब्रह्मा को प्राप्त कराए उस ब्रह्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य और (तू अर्थात) अंगिरा से ऋग, यजु, साम और अथर्ववेद का ग्रहण किया।
मानव के जीवन में इसका क्या महत्व है |
मानव जीवन में कर्मों के उपरांत, परोपकारी बनने तथा दान पुण्य को नियमित रूप से करने से ही मानव शरीर मिलता है। जब परमात्मा ने हमें सर्वश्रेष्ठ जीव बना कर घरातल पर भेजा है तो यह हमारा नैतिकऔर परम कर्तव्य बनता है कि हमें धर्मग्रंथो के अनुसार मानवता का भाव रखते हुए सर्व जीव कल्याण हेतु कार्य करना चाहिए।
अतः हम आगे हम एक एक कर सारे श्लोक का अध्यन करे | और इसकी अर्थ तथा अनुवादों को समझेंगे |
0 Comments
आप अपने विचारो को हम से शेयर कर सकते है