श्रीमद्भागवत - Shrimad Bhagwat Geeta
Yada Yada Hi Dharmasya in Hindi - यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक का हिंदी अर्थ |
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।”
अर्थ:- श्री कृष्ण कहते हैं “जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, विनाश का कार्य होता और अधर्म आगे बढ़ता है, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर आता हूँ और इस पृथ्वी पर अवतार लेता हूँ।”
“परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।”
अर्थ:- जो मनुष्य पृथ्वी पर सज्जनों जैसा व्यवहार करता है, उन सभी व्यक्तियों की रक्षा के लिए और दुष्टों के विनाश के लिये और धर्म की स्थापना करने के लिए मैं हर युग में अवतार लेता हूँ और जान कल्याण धर्म स्थापना करता हूँ।
श्रीमद्भागवत गीता का अर्थ क्या है?
श्रीमद्भगवदगीता की प्रारम्भ - महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।
इसका अर्थ यह है कि उपनिषदों की जो अध्यात्म विद्या थी, उसको गीता सर्वांश में स्वीकार करती है। , अनजान पथिक ( मुसाफिर ) । श्रीमद्भागवत गीता को संक्षिप्त अर्थ है| श्री मद्भागवत गीता में श्री कृष्ण की उपदेशे हमे संघर्ष करने'की प्रेणना देती है ।
-----आए आज हम श्रीमद्भगवदगीता की एक एक श्लोक का अर्थ का वर्णन करेंगे | ----
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