Samveda in Hindi - जाने सामवेद क्या होता है | चारों वेदों में क्या है?
सामवेद वह ग्रन्थ जिसके मन्त्र गाये जा सकते हैं और जो संगीतमय हों। यज्ञ, अनुष्ठान और हवन के समय ये मन्त्र गाये जाते हैं। इसमें यज्ञानुष्ठान के उद्गातृवर्ग के उपयोगी मन्त्रों का संकलन है। इसलिए इसे सामवेद कहा गया है कि इसमें गायन-पद्धति के निश्चित मन्त्र ही हैं।
सामवेद चारों वेदों में आकार की दृष्टि से सबसे छोटा है और इसके 1875 मन्त्रों मे से 99 को छोड़ कर सभी ऋगवेद के हैं। केवल 17 मन्त्र अथर्ववेद और यजुर्वेद के पाये जाते हैं। फ़िर भी इसकी प्रतिष्ठा सर्वाधिक है, जिसका एक कारण गीता में कृष्ण द्वारा वेदानां सामवेदोऽस्मि कहना भी है। सामवेद यद्यपि छोटा है परन्तु एक तरह से यह सभी वेदों का सार के रूप में है और सभी वेदों के चुने हुए अंश इसमें शामिल किये गये है। सामवेद संहिता में जो 1875 मन्त्र हैं, उनमें से 1504 मन्त्र ऋग्वेद के ही हैं। सामवेद संहिता के दो भाग हैं। वर्तमान में प्रपंच ह्रदय, दिव्यावदान, चरणव्युह तथा जैमिनि गृहसूत्र को देखने पर 13 शाखाओं का पता चलता है। इन तेरह में से तीन आचार्यों की शाखाएँ मिलती हैं-
- कौमुथीरयी,
- राणायनीय और
- जैमिनीय।
इसका अध्य्यन करने बाले पंडित पंचविश या उद्गाता कहलाते है।
चारों वेदों में क्या है ?
चार वेदो में - वेद के विभाग चार है:ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ऋग-स्थिति, यजु-रूपांतरण, साम-गतिशील और अथर्व-जड़। ऋक को धर्म, यजुः को मोक्ष, साम को काम, अथर्व को अर्थ भी कहा जाता है। इन्ही के आधार पर धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्षशास्त्र की रचना हुई।
------ आगे हम इनकी श्लोक का अर्थ एवं श्लोको के बारे में समझने का प्रयत्न करेंगे | -----
0 Comments
आप अपने विचारो को हम से शेयर कर सकते है